Friday, May 24, 2013

बस तुम्हें देखने की हसरत..!

...तो तुम नहीं मिल पाई मुझसे..। कोई बात नहीं. मैं जानता हूं, तुम्हारी व्यस्तताएं और मजबूरियां। पर मैं भी उतना ही जिद्दी हूं. अपनी धुन का पक्का। तुम्हें बस एक नजर देखने के लिए चला आया रेलवे स्टेशन. तुमने बताया था कि 23 को वापस जाओगी. और उस दिन इंटरनेट पर देखा तो एक ही ट्रेन थी तुम्हारे शहर के लिए...और वो भी सुबह-सवेरे। मैं तड़के 4.30 बजे पहुंच गया था रेलवे स्टेशन। यहां-वहां सब जगह देखा। मगर तुम नहीं थी। थक-हारकर वापस आ गया। तुम्हें फोन/एसएमएस नहीं किया। तुम्हारे टोकने के बाद नहीं करने का वादा जो कर लिया अपने आप से। खैर.....जैसे-तैसे सूचना जुटाई कि तुम्हारी ट्रेन सात बजे है। रेलवे स्टेशन के अंदर प्रवेश किया तो नजर पड़ी इलेक्ट्रोनिक बोर्ड पर जो तुम्हारी ट्रेन बिल्कुल सही समय पर बता रहा था। उस वक्त मेरी घड़ी में 6.51 हो चुके थे। मैं प्लेटफॉर्म पर भागते हुए सीढ़ीयां चढ़कर प्लेटफॉर्म नं. 3 पर पहुंचा। और आरक्षण चार्ट देखा तो तुम्हारा नाम नहीं था। उफ्फ...6.53 हो चुके थे तब तक। अब मैं इधर-उधर झांकता हुआ। खुद को दूसरों की नजरों से बचाता हुआ तुम्हें ढूंढ रहा था। एक बार डर भी लगा कि तुमने मुझे देख लिया या किसी और ने मुझे देख लिया तो पता नहीं क्या हो जाएगा। मुझे वहां नहीं होना चाहिए। पर मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैं पूरी ट्रेन में लगभग दो बार आगे से पीछे तक तुम्हें तलाश कर चुका था। स्पेशली सैकण्ड एसी या थर्ड एसी में भी। जो भी होगा जल्दबाजी में गौर नहीं कर पाया। सारे कोच पर लगी आरक्षित सूचियों को दो-दो बार पूरा पढ़ चुका था। एक तो गर्मी और ऊपर से भाग-दौड़ ने मुझे पसीने से तरबतर कर दिया। फिर वही हुआ जो अक्सर ऐसी मुश्किल परिस्थिति में हो ही जाता है। भगवान को मुझ पर तरस आया और एक खिड़की के पास मुझे वही प्यारा सा...सुंदर सा...चेहरा नजर आया। जिसको मैं 30 जुलाई 2008 से चाहता रहा हूं। एकदम से मेरे कदम ठिठक गए। मैं एक क्षण भी वहां नहीं रुका। भय था, मुझे वहां कोई देख लेगा तो न जाने क्या अर्थ लगाएगा। मैं अगले ही मिनट प्लेटफॉर्म नं. 3 से 1 की ओर दौड़ लगा रहा था। और वहां तक पहुंचते ही 7.00 बजे गए और ट्रेन तुम्हें साथ लेकर जाने के लिए रवाना हुए जा रही थी। मैं उस वक्त प्लेटफॉर्म नं. 1 पर खड़ा तुम्हें बाय कर रहा था। तुम चलीं गई और मैं वहीं खड़ा रह गया। सच बताऊं तो अक्सर जब मैं रेलवे स्टेशन जाता हूं तो मुझे वहां तुम्हारा अक्स नजर आता है। और अक्सर तुम्हारा अक्स देखने के लिए मैं वहां चला जाता हूं।