Friday, June 10, 2011

तुम्हारे होने से मेरी जिन्दगी खूबसूरत है...।

30 जुलाई 2008. यानी मेरी अब तक की जिन्दगी का सबसे खूबसूरत दिन. शायद उस दिन ऊपरवाला मुझ पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान था, जिस दिन हम पहली बार मिले. वो एक इत्तफाक था. वो इत्तफाक मेरी लाइफ में कभी न भूलने वाला इत्तफाक बन गया है. इसका एहसास मुझे 24 दिसम्बर को हुआ. जब तुमने कहा कि अब हम सात दिन बात नहीं कर सकेंगे. उस दिन मुझे लगा कि तुम मेरी जिन्दगी का जरूरी हिस्सा बन चुकी हो. सच कहूं तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक सामान्य सी दिखने वाली लड़की मेरी लाइफ को इतना बदल सकती है. तुमसे मिलकर मुझे लगा कि - हां, तुम ही 'वो' हो, जिसका मुझे इंतजार था. मुझे इससे पहले किसी के लिए ऐसा फील नहीं हुआ. मुझे कब तुम्हारी हर बात अच्छी लगने लगी और कब मुझे तुमसे प्यार हो गया. पता ही नहीं चला.
शायद वो एक मीठा सा और प्यार सा एहसास ही होता है, जो हमें यकीन दिलाता है कि हां यही है, जिसे देखते ही न जाने क्यूं दिल को कुछ हो जाता है. हमारा रोम-रोम खिलने लगता है. उसके सामने आते ही ना जाने क्यूं हमे ऐसा कुछ एहसास होने लगता है. जो किसी और के आने पर नहीं होता. हां, यह प्यार ही तो है. यह हमारे बीच एहसास का ही तो रिश्ता है. बीते एक साल में तुमसे की गई बातों और यादों को मैंने डायरी में सहेज कर रखा है. एक साल हमारे बीच कितनी बार झगड़ा हुआ. शायद हम दोनों को याद नहीं होगा. लेकिन हमारी दोस्ती की मिठास कभी कम नहीं हुई। न जाने कितनी बार ऐसा हुआ जब तुमने कहा-
तुम ऐसा करते हो.
तुम वैसा करते हो.
तुम कभी मेरी बात क्यूं नहीं मानती.
तुम कभी मुझे क्यूं नहीं समझते.
मैं जा रही हूं, तुम्हारी जिन्दगी से.
कभी लौटकर नहीं आऊंगी.
और फिर फोन कट हो जाता...
कुछ देर वक्त ठहर सा जाता.
जैसे सब कुछ खत्म....!
थोड़ी देर बाद दोनों में से कोई एक कहता - सॉरी
क्या हम फिर से दोस्त बन सकते हैं....?
पहले की तरह.
दूसरा कहता- हां, बिल्कुल.
और फिर सब कुछ पहले की तरह हो जाता.
ये झगड़े और रूठना-मनाना, मैं जिन्दगी में कभी भूल नहीं पाऊंगा. अब तो तुम्हें मनाने की आदत पड़ चुकी है. तुमसे मिलने के बाद मैंने दोस्त बनाना सीखा है. दोस्ती निभाना सीखा है. अपनों के लिए जीना सीखा है. सच कहूं तो, जिन्दगी जीना भी मैंने तुमसे मिलने के बाद सीखा है. तुम्हारे होने भर से मेरी जिन्दगी खूबसूरत हो गई है. कितने रंग मेरी लाइफ में भर गए हैं. कितनी खूशबूएं मेरे आस-पास फैल गई है. न जाने कितने ही ख्वाब मेरी आंखों में पलने लगे हैं. मुझे खुश होने के मौके सिर्फ तुमने दिए हैं. यह सब महसूस करने की बातें हैं. इन्हें लिखने के लिए मेरे बाद शब्दों की कमी सी हो गई है. जिन्दगी में शायद पहली बार कुछ लिखने के लिए मैं इतनी उलझन महसूस कर रहा हूं. तुम मेरे लिए दुनिया की बेस्ट इंसान हो. आज अगर कोई मेरे सबसे करीब है, तो वो तुम ही हो.
देखते ही देखते हमारी दोस्ती ने एक साल का सफर तय कर लिया. मैं जानता हूं, दोस्ती के जिस सफर पर हम कदम बढ़ा रहे हैं. उसकी कोई मंजिल नहीं है. लेकिन सच यह भी है कि मुझे उस मंजिल की कोई चाह नहीं है. कई बार ऐसा होता है कि जब हमें रास्ते मंजिल से बेहतर लगने लगते हैं. मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ है. मुझे इन रास्तों से ही लगाव है. क्योंकि इन रास्तों में तुम मेरे साथ हो. जानती हो, जबसे मैंने आंख खोली, तबसे मुझे भगवान से एक बात की शिकायत रहती थी कि उसने मेरी किस्मत में पापा का प्यार क्यों नहीं दिया. मैं उनको कभी देख नहीं पाया. उनकी यादों की धुंधली तस्वीर भी मेरे जेहन में नहीं है. जब भी भगवान से कुछ मांगता तो साथ में इस बात का उलाहना भी देता. लेकिन अब लगता है, भगवान ने मुझे तुमसे मिलाकर अपनी गलती के लिए सॉरी बोल दिया है.
तुमसे मिलने की उम्मीद में मैं कहीं भी चला जाता हूं. घण्टों तक इंतजार कर लेता हूं. तुमको देखने से मुझको सुकून मिलता है. तुम जहां भी जाती हो. मन करता है, मैं भी वहीं चला जाऊं. मेरा यह 'पागलपन' तुमने भी देखा है. तुम्हारी वजह से ही मुझे पहली बार मेरा जन्मदिन अच्छा लगा था. मैं जानता हूं, 12 मई को तुम कॉलेज सिर्फ मेरे लिए आई थी. किताबें जमा कराना तो बस एक बहाना था. तुम्हारा आना मेरे लिए जन्मदिन का सबसे अनमोल तोहफा था. वो खुशी के पल सिर्फ तुमने मुझे दिए थे. सच तुम्हारी वो अदा आज भी मुझे बेहद प्यारी लगती है. जब तुम मेरे लिए तपती धूप की परवाह किए बिना, उस बस के सफर से मुझसे मिलने आई थी। उस रोज तुम मुझे दिल के बेहद करीब मालूम हुई थी। हां, ये एहसास ही तो है, जो आज भी मेरे जेहन में जिंदा है. यादें भी ना खूब होती है. दिमाग की हार्ड डिस्क में एक बार स्टोर हो जाती है, तो बस हो जाती है. इन्हें फोर्मेट भी नहीं मारा जा सकता. शायद, तुम मेरी ये बातें पढ़कर बहुत जोरों से हंस रही होंगी. पर सच, तुम्हें हंसते देखकर दिल को सुकून मिलता है. तुम्हारी हंसी गिरते हुए झरने सी लगती है.
मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगा. यह कहूंगा तो शायद गलत होगा. क्योंकि मैं इस जिन्दगी में तुम्हें कभी भूल नहीं पाऊंगा. जिन्दगी के किसी मोड़ पर मेरी जरूरत पड़े, तो बस पुकार लेना. मैं दौड़ा चला आऊंगा. उसी दिन की तरह, जिस दिन तुम्हारे पास सिटी बस का किराया नहीं था. और अचानक मैं वहां आ गया था. याद तो होगा तुम्हें, तुम भले ही भूल जाओ. मगर मैं इन लम्हों और बातों को कभी भूल नहीं पाऊंगा. कभी न कभी तुम इन यादों का एहसास जरूर करोगी. तब तुम मुझे याद करोगी...!
शायद तब एहसास करोगी.
मेरे प्यार के छांव तले,
जब ये गुजरे दिन याद करोगी.
यूं तो जीवन की राहों में
कितने साथ मिले और बिछड़े हैं.
और ना जाने कितने तेरे मेरे बीच खड़े हैं.
अंतर्मन से मैं हूं तेरा.
एक दिन ये एहसास करोगी.
जिस दिन तुम अपना समझोगी.
तब मिलने की चाह करोगी.
मेरे दिल में बसे प्रेम का,
जिस दिन तुम विश्वास करोगी.
शायद तब एहसास करोगी.

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