Sunday, December 30, 2012

Mujhe aaj bhi Yaad hai wo srdion ki Raat,
Jab us ne mera haath pakra or meri
aankhon me dekh kr kaha-
Tumhare haath bahut garam hain,
... Aur jante ho k garam haath wafa ki
nishani hote hain..?!!

Main ye sun kr bahut khush huaa,
Itna khush...
K Ye bhi bhool gaya k Us Raat
Us k haath kitne SARD
They...!!  :-(

Tuesday, December 18, 2012

Barso Baad Milaa to,
Mujhse Lipat Kar Ro Padaa Wo..
Jaate Huye Jisne Kaha Tha,
Tum Jaise Lakhon Milenge..!!!

Saturday, December 15, 2012

थपथपाने.. समझाने... बहलाने... के दिन..!!!

देखो ना.... ये फिर दिसम्बर आ गया....। मगर इस दिसम्बर और उस दिसम्बर के सर्द दिनों में कितना फर्क है ना.... दिसम्बर के उन आखिरी दिनों में तुमने मेरे दिल पर दस्तखत किए थे....और इस दिसम्बर के बाद.... मैं फिर पहले जैसा ही हो जाऊंगा....। तन्हा.... अकेला.... खामोश.....। जबसे मुझे पता चला है.... कि तुम मुझे छोड़कर जाने वाली हो, तो मैं तुम्हारी इन गहरी आंखों में डूब जाना चाहता हूं....। मैं तुम्हें एक बार जोर से गले लगाना चाहता हूं..... इन दिनों मेरी आंखें बेहद उदास रहने लगी हैं.... एक अजीब रिक्तता ने मुझे आ घेरा है.... नि:संदेह यह मेरे लिए आत्मिक संघर्ष का दौर है.... मन में संशय भी उपजता है कि कहीं यह खाली हाथ रह जाने के दिन तो नहीं और फिर अगले ही क्षण.... मैं मन को थपथपाने..... समझाने.... बहलाने.... की कोशिश करता हूं.... किन्तु वह केवल मुस्कुरा कर रह जाता है. शायद कहना चाहता हो.... बच्चू इश्क कोई आसान शह नहीं।

लेखन मेरे लिए प्रथम था, शेष सुखों के बारे में मैंने कभी सोचा नहीं. .... उन्हीं बाद के दिनों में मुझे यह आंतरिक एहसास हुआ - न जाने कब से मुझे तुम्हारी निकटता अच्छी लगने लगी थी....। बावजूद इसके कि हमारे मध्य महज़ औपचारिक बातें हुई थीं..... वह भी बामुश्किल दो-चार दफा..... किन्तु रुठने-मनाने की 'नौटंकी' करते-करते वह आंतरिक चाहना मन की ऊपरी सतह पर तैरने लगी थी.... और मैं प्रेमपाश में हर दफा ही.... तुम्हारी ओर खिंचा चला जाता रहा....। वे ठिठुरती सर्दियों के जनवरी के दिन थे..... जब तुम्हारी आंखों में भी मैंने अपने लिए चाहत पढ़ी थी.... फिर जब-जब तुम मेरे सामने आई.... उन सभी नाजुक क्षणों में मेरे मन में प्रेम का अबाध सागर उमड़ पड़ता.... जो सभी सीमा रेखाओं को तोड़ता हुआ तुमको अवश्य ही भिगोता रहा होगा.... बहरहाल.... दिसम्बर-जनवरी के वे बीते दिन, मेरे दिल की डायरी में सदैव जीवित रहेंगे.... जिन दिनों में, तुम मेरी आत्मा का....मेरी जिंदगी का अहम् हिस्सा बन गई थीं....। :)

Sunday, December 9, 2012

Happy B'day

जन्मदिवस के अवसर पर अनेकानेक शुभकामनाएं।
जानता हूं, यही कहोगी कि आज मेरा जन्मदिन नहीं है। पर मैं 9 दिसम्बर को ही तुम्हारा जन्मदिवस मनाता हूं। इसकी वजह भी तुम्हें पता है। :) इस शुभ अवसर पर असीमित, अविरल स्नेह और आत्मा की अतल गहराइयों से 'विजय भव' का चिरस्थायी, स्नेह संचित, अशेष आशीष की मृदुल ज्योत्सना तुम तक पहुंचे। कामयाबी ही हर मुश्किल का हल है। यही तुम्हारी मंजिल है। और ये भी सच है कि मुकम्मल और मुसलसल कोशिशें ही एक दिन रंग लाती हैं। मैं जानता हूं। विपरीत परिस्थितयों से संघर्ष करते-करते तुम थक गई हो। पर यह जीवन के रंग हैं। यह एक दौर है, जो समय के साथ गुजर जाएगा। तुम अत्यन्त संवेदनशील हो। तुम्हारे दिल को हुआ जरा सा भी दर्द मुझे भी बहुत ज्यादा कचोट जाता है। मैं चाहता हूं, तुम चट्टान की तरह मजबूत बनो। विश्वास रखना। मैं हर परिस्थिति, हर हालात में तुम्हारे साथ ही हूं। तुम्हारे पास ही हूं। बस.....एक आवाज दे लेना। एक बार फिर जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। अपना खयाल रखना...

और हां......हमेशा खुशियों के नजदीक रहना...। :)

 








एक पागल लड़का..