Sunday, December 30, 2012

Mujhe aaj bhi Yaad hai wo srdion ki Raat,
Jab us ne mera haath pakra or meri
aankhon me dekh kr kaha-
Tumhare haath bahut garam hain,
... Aur jante ho k garam haath wafa ki
nishani hote hain..?!!

Main ye sun kr bahut khush huaa,
Itna khush...
K Ye bhi bhool gaya k Us Raat
Us k haath kitne SARD
They...!!  :-(

Tuesday, December 18, 2012

Barso Baad Milaa to,
Mujhse Lipat Kar Ro Padaa Wo..
Jaate Huye Jisne Kaha Tha,
Tum Jaise Lakhon Milenge..!!!

Saturday, December 15, 2012

थपथपाने.. समझाने... बहलाने... के दिन..!!!

देखो ना.... ये फिर दिसम्बर आ गया....। मगर इस दिसम्बर और उस दिसम्बर के सर्द दिनों में कितना फर्क है ना.... दिसम्बर के उन आखिरी दिनों में तुमने मेरे दिल पर दस्तखत किए थे....और इस दिसम्बर के बाद.... मैं फिर पहले जैसा ही हो जाऊंगा....। तन्हा.... अकेला.... खामोश.....। जबसे मुझे पता चला है.... कि तुम मुझे छोड़कर जाने वाली हो, तो मैं तुम्हारी इन गहरी आंखों में डूब जाना चाहता हूं....। मैं तुम्हें एक बार जोर से गले लगाना चाहता हूं..... इन दिनों मेरी आंखें बेहद उदास रहने लगी हैं.... एक अजीब रिक्तता ने मुझे आ घेरा है.... नि:संदेह यह मेरे लिए आत्मिक संघर्ष का दौर है.... मन में संशय भी उपजता है कि कहीं यह खाली हाथ रह जाने के दिन तो नहीं और फिर अगले ही क्षण.... मैं मन को थपथपाने..... समझाने.... बहलाने.... की कोशिश करता हूं.... किन्तु वह केवल मुस्कुरा कर रह जाता है. शायद कहना चाहता हो.... बच्चू इश्क कोई आसान शह नहीं।

लेखन मेरे लिए प्रथम था, शेष सुखों के बारे में मैंने कभी सोचा नहीं. .... उन्हीं बाद के दिनों में मुझे यह आंतरिक एहसास हुआ - न जाने कब से मुझे तुम्हारी निकटता अच्छी लगने लगी थी....। बावजूद इसके कि हमारे मध्य महज़ औपचारिक बातें हुई थीं..... वह भी बामुश्किल दो-चार दफा..... किन्तु रुठने-मनाने की 'नौटंकी' करते-करते वह आंतरिक चाहना मन की ऊपरी सतह पर तैरने लगी थी.... और मैं प्रेमपाश में हर दफा ही.... तुम्हारी ओर खिंचा चला जाता रहा....। वे ठिठुरती सर्दियों के जनवरी के दिन थे..... जब तुम्हारी आंखों में भी मैंने अपने लिए चाहत पढ़ी थी.... फिर जब-जब तुम मेरे सामने आई.... उन सभी नाजुक क्षणों में मेरे मन में प्रेम का अबाध सागर उमड़ पड़ता.... जो सभी सीमा रेखाओं को तोड़ता हुआ तुमको अवश्य ही भिगोता रहा होगा.... बहरहाल.... दिसम्बर-जनवरी के वे बीते दिन, मेरे दिल की डायरी में सदैव जीवित रहेंगे.... जिन दिनों में, तुम मेरी आत्मा का....मेरी जिंदगी का अहम् हिस्सा बन गई थीं....। :)

Sunday, December 9, 2012

Happy B'day

जन्मदिवस के अवसर पर अनेकानेक शुभकामनाएं।
जानता हूं, यही कहोगी कि आज मेरा जन्मदिन नहीं है। पर मैं 9 दिसम्बर को ही तुम्हारा जन्मदिवस मनाता हूं। इसकी वजह भी तुम्हें पता है। :) इस शुभ अवसर पर असीमित, अविरल स्नेह और आत्मा की अतल गहराइयों से 'विजय भव' का चिरस्थायी, स्नेह संचित, अशेष आशीष की मृदुल ज्योत्सना तुम तक पहुंचे। कामयाबी ही हर मुश्किल का हल है। यही तुम्हारी मंजिल है। और ये भी सच है कि मुकम्मल और मुसलसल कोशिशें ही एक दिन रंग लाती हैं। मैं जानता हूं। विपरीत परिस्थितयों से संघर्ष करते-करते तुम थक गई हो। पर यह जीवन के रंग हैं। यह एक दौर है, जो समय के साथ गुजर जाएगा। तुम अत्यन्त संवेदनशील हो। तुम्हारे दिल को हुआ जरा सा भी दर्द मुझे भी बहुत ज्यादा कचोट जाता है। मैं चाहता हूं, तुम चट्टान की तरह मजबूत बनो। विश्वास रखना। मैं हर परिस्थिति, हर हालात में तुम्हारे साथ ही हूं। तुम्हारे पास ही हूं। बस.....एक आवाज दे लेना। एक बार फिर जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। अपना खयाल रखना...

और हां......हमेशा खुशियों के नजदीक रहना...। :)

 








एक पागल लड़का.. 

Friday, November 30, 2012

Itnaa To Bataa Mere Hamdum...
Main Ne Kab Tum se Kuchh Maanga tha..?
Main Ne Kab Tum Se Mohabbat Maangi Thi...?
Kab tumse Iqraar-o-Wafa Ka Ehad Maanga...?
.......................................
Bas Ek Inaayat hi Chaahi Thi..
K Door Na Ho Jaana Mujhse Kabhi. !!
K Tum Se Juda Ho Kr Meri
Saanson Me Kami Aa Jati Hai...!!
Yoon Jazb Kar Liya Hai
Tujhe Rooh Main..!!
K Tujhe Paane Ki
ab Hasrat Nahi Rahi...!!!

Monday, November 26, 2012

नन्ही सी ख्वाहिश...

मैं सिहर सा जाता हूं, जब यह खयाल जहन में आता है कि तुम भी मुझे इस भीड़ भरी दुनिया में अकेला छोड़कर जाने वाली हो। अब जब यह तय हो चुका है कि तुमसे जी भर के गुफ्तगु करने की मेरी नन्ही सी ख्वाहिश भी अब अधूरी ही रहनी है, तो मैं तुमसे इस चिट्ठी के माध्यम से ढेर सारी बातें करना चाहता हूं। दिल भर सा गया है। कभी-कभी मैं यूं ही तुम्हारे बारे में सोचता हूं तो एक खयाल, एक सवाल मेरे जहन में आता है, जिसका जवाब मैं आज तक नहीं दे पाया। कि तुम्हारा-मेरा रिश्ता क्या है? क्या हम महज दोस्त हैं, या फिर...? शायद हम दोनों के लिए इसे कोई नाम देना मुश्किल है। पर मुझे इतना पता है कि तुम वो शख्स हो, जिसने मुझे उस वक्त सहारा दिया, जब मैं टूट चुका था। पहले नहीं था, पर अब यकीन हो गया है कि तुम्हें सच में भगवान ने ही मेरे लिए भेजा था। कोई जरूरी नहीं कि भगवान उसे ही हमारे लिए भेजे, जो हमारा हमसफर बने। जरा से साथ में तुमने मुझे अनगिनत खुशियों के पल दे दिए, जिसके लिए मैं जिन्दगी भर भी तुम पर प्यार लुटाऊं, तो भी कम है।

-> तुम सच में मेरी जिन्दगी की किताब की नायिका हो। तुम्हारे बगैर मेरी जिन्दगी की किताब अधूरी है। मैं जानता हूं, तुमसे मुझे सच्चा अपनापन मिला है। मैं उस प्यार को अपनी रूह के अंदर तक महसूस कर सकता हूं। सच में मुझे अब अहसास हुआ कि प्यार जब सच्चा हो तो रूह को कितना सुकून देता है।

-> दूर कहीं जब तुम गहरी नींद में सो रही हो और मै यहां ठण्डी रातों में लफ्जों का पुल बनाकर तुमसे बातें करने की कोशिश में जुटा हूं। यकीन जानो, बहुत अच्छा लगता है। कभी-कभी यूं महसूस होता है कि जिस उर्जा की आवश्यकता मुझे हरदम रहती है. वह मुझे तुम्हारे खयाल से ही मिलती है।

-> ठंडी हवा जब गालों को छूती है तो शरीर में एक लहर दौड़ जाती है. तब तुम्हारी बहुत याद आती है. तुम साथ होती तो यहां का मौसम और भी खुशगवार हो जाता. तुम्हारे हाथों का स्पर्श, तुम्हारे गालों को छूते उड़ उड़ कर आते बाल और रह रह कर अपनी उंगलियों से तुम्हारे कानों के पीछे धकेलता मैं..।

-> तुम्हें याद है, जब एक दिन तुम मेरे लिए मिठाई लेकर आई थी। तुम्हें पता था कि मुझे मिठाई बेहद पसन्द है। और फिर हमने वहां बैठकर एक ही चम्मच से मिठाई खाई थी। उस दिन की मिठास आज भी मैं महसूस कर सकता हूं।
 
-> अच्छा तुम्हें याद है, जब उस सुहानी शाम को हम एक-दूसरे के पास बैठे थे। और फिर बातों ही बातों में तुम मेरे बिल्कुल करीब आ गई थी। जहां मैं तुम्हारी सांसें महसूस कर सकता था। तुमने अपना सर मेरी गोद में रख दिया था। और फिर.....

> उस रोज के तुम्हारे गीले होठों की महक आज तक मेरे होठों पर चस्पां है....

> मुझे आज भी याद है वो खास दिन जो मैं भूल गया था पर तुम नहीं। मेरे जन्मदिन पर तुम्हारे भेजे हुए गुलदस्ते ने मुझे असीमित खुशियां दी थी। सच में, उस दिन तो तुमने कमाल ही कर दिया था। तुम्हारा दिया उस रोज़ का गुलाब आज भी सिरहाने रखी डायरी में रोता है....और मुझे तुम्हारी याद दिलाता है।

-> उन आखिरी दिनों में जब मैंने तुमसे मुलाकात करने की कई बार नाकाम कोशिश की थी उन दिनों बस यही कहना चाहता था कि....

पत्तों पर बिखरी तुम्हारी खिलखिलाहट में...
छज्जे पर से टपकते
गाढ़े अंधेरे से चिपकी तुम्हारी बातों में....
सर्दियों की गुनगुनी धूप में
औंधे पड़े हुए अलसाई तुम्हारी आँखों में....
खाली पड़े कमरे में एकाएक ही
छन्न से आवाज करती तुम्हारी स्मृति में....
बेतरतीब खुली पड़ी डायरी के सफहों पर
तुम्हारे नाम लिखी कहानियों में......
ढलती हुई शामों में......
उदास जागती रातों में.....
सूनी सड़क पर तुम्हारे साथ
चहलकदमी करने के खयालों में.....
अब मुझे सुकून मिलता है...।
Qayamat Khez Lamha Tha
Socha To Yaqeen Na Aya..
Jis Ko Tha Toot K Chaaha
Us Se Nafrat Hui Mujh Ko..!!!

Tuesday, November 20, 2012

Usi Jagah pe khada hun,
Jahan wo bichhda tha
Suna hai Jab se K,
Mousam..Palat ke aate Hain_!!
Itni shiddat Se Bhi
Pyaar Naa Karna Kabhi Kisi Se
Bahut Gehrai Mein Jane Wale
Akser Doob Jate Hai_!!

Friday, November 9, 2012

♥♥ Mere Lafzoon Ki Mehak Agar Uss Tak
Pohanch Jay Too Kehna.!!

Hum Jesy Log Agar Kho Jayen To
Dubara Qismat Say Bhi Nahi Miltay...♥♥

Monday, November 5, 2012

Mujhe bhi Sikha do,
Bhoolnay Ka Hunar.
Ki Mujse Raaton ko uth-uth ke
Ab Roya nahi Jata...!!!

Sunday, November 4, 2012

Mere Lafzon Ki Pehchan
Agar Tujhe Hoti...
To Tujhe Mujhse Jyada...
Khud Se Mohbbat Ho Jaati..!!

Thursday, November 1, 2012

Mohbbat Main
Dikhave Ki Dosti Naa Milaa..
Gale Mil Nahi Sakta,
To Haath Bhi Naa Milaa..!!!

Wednesday, October 24, 2012

Ek Khwab Si Larki

Meri Nazar Mein Rahti Hai, Ek Khwab Si Larki,
Jaisey Saans Leti Huvii... Mehtaab Si Larki...

Main Us Se Faasla Na Rakhta, To Aur Kya Karta,
Main Hawaon Sa Paagal... Woh Chiragh Si Larki,

Use Suna Nahi, Mehsoos Kiya Hai Main Ne,
Har Ek Shabd Pe Chup Hai... Woh Kitaab Si Larki,

Darmiyaan Mein Hamare, Hazaron Hijaab Hain Lekin,
Phir Bhi Zahir Hai Mujh Pe... Woh Naqaab Si Larki,

Uske Samne Mein, Be-Zubaan Sa Rah Jata Hun,
Kaii Sawaal Liye... Woh Jawaab Si Larki...!!!

Saturday, October 13, 2012

Apna Samajh Kar Jiske Liye
UJAR Gaye the Hum
Kal Shaam Pass Se Guzar Gaya Wo
Kisi Aur Ke Saath..!!!
Agar sjaa de hi chuke ho
to ab hall na puchhna
Hum agar begunah huye
to tumhe afsos hoga..!!!
Maana ke marney walon ko
Bhula dety hain sab hi..

Mujhe zinda ko bhool kar
tum ne to duniya ki rawayat hi badal di..!!!

Wednesday, October 10, 2012

Ab teri aankhon Main
Ye aansu Kisliye..

Jab Chhor hi diya tha
to Bhula bhi diya hota.!

Thursday, October 4, 2012

hum dil ko kisi tarah mana lenge...!!!

in khwahisho ka kya
inhe dil me dba lenge...
tum jao.. apni khushi dekho,
hum dil ko mana lenge...

karega jab ye zid tum se milne ki...
udaas nagme suna.. isko bahla lenge...
tum jao..
hum dil ko kisi tarah mana lenge...

jab aankhen royengi,
tab ansu bha lenge...
mahfil me honge to inko
muskurahto ke nichhe chhupa lenge...
aayega naam na tum pe
hamari barbaadi ka...
hum khud ki barbadi ka zimevar
khud ko hi bta denge...

tum jao.. hum dil ko kisi tarah mana lenge...

rok tumko bhi nhi sakte,
tumhari khushi ka sawal hai...
tum jao.. hum dil ko kisi tarah mana lenge...

aise udaas hokar mat jao,
ke hamara dil na lagega...
agar humara rona achha nahi lagta to kaho..
hum chehre ko.. hasta hua bana lenge...

tum itminaan se jao..
hum dil ko kisi tarah mana lenge...!!!

Saturday, September 29, 2012

Mujhe uss jagah se bhi
mohabbat ho jaati hai
Jahan Baith kar main
Ek baar tujhe soch leta hun...!!

Wo Pagal Hai...!!

Main Jitnaa AAJ usse Chahta Hun
Kal Bhi usse Utna Hi Chahunga
Wo Pagal Hai, Roz Rooth Jati Hai
Mujhe Aazmaane Ke Liye...!!!!

Friday, September 28, 2012

पल में पराया कर दिया..!!

This is my last Hello and Bye to all those who came in my life, stay and gone..This is the formal declaration that we are no more known to each other. Have a great life ahead. God always bless u with happiness. Bye.
Regards,
----------
September 05, 2012
11:39:36 am

Sunday, September 2, 2012

मेरे दिन उदास हैं और रातें तन्हा सी..

मेरे दिन उदास हैं और रातें तन्हा सी ऐ-दोस्त,


क्या कसूर था मेरा, फकत तुझसे मुहब्बत के सिवा..!!

Tune mere jaana...Kabhi nahi jana..

Ho love of mine..
with a song and a whine..
You’re harsh and divine..
like truths and a lie..but the tale end is not here.
I've nothing to fear..for my love is yell of giving and hold on...
in the bright emptiness..
in a room full of it..
is the cruel mistress ho ho o…
I feel the sunrise..
that nest all hollowness..
for i have the way to go.. not come…
And i feel so lonely yea..
There’s a better place from this emptiness..
And i’m so lonely yea..
There’s a better please from this emptiness.. yei yei yei ya…
Aa.. aa.. aa…..

Tune mere jaana..
Kabhi nahi jana..
Ishq mera dard mera.. haaye…
Tune mere jaana..
Kabhi nahi jana..
Ishq mera dard mera …
Aashiq teraaa..
Bheed mein khoya rehta hai..
Jaane jahaan a..
Puchho toh itna kehta hai..
And i feel so lonely yea..
There’s a better place from this emptiness..
And i’m so lonely yea..
There’s a better please from this emptiness.. yei yei yei ya….

maine mera jaana....kyun..nahi jaana...

Tu aaja…tu aaja…aa…
mujhko meri sajaa…to…sunaaja..
vo aahein ..haan vo aansu…
mere hisse ke mujhko rulaaja….
sapne.. tere saare…
jinme me….rahti….thi…e…e…
tukde banke mere..
jakhm…sine me kar gaye…ho…
maine mere jaana…. kyun..nahi jaana…
ishq tera… dard tera…ho…o..o…
akele… akele…
rah gayi bin tere yun…akeli…
me tadpun……yaaa me tarsun….
ya ..chali aaun main paas tere…
itni.. tanhaayi hai..
zindagi……… kho…gayi….
baatein karne saari..
aa rahi.. hun…tujhse hi…ho..
maine mere jaana…. abb..hai.. jaana…
ishq tera… dard tera..ho..
tu jo gaya….aa….
haaal ye mera rehta hai…
dil ye meraaaa…
khud se hi tanha… rahta hai….
And i feel too.. lonely yea..
There’s a better place from this emptiness…
And im tooo lonely yea..
There’s a better please from this emptiness..

yei yei yei ya &.

Saturday, August 11, 2012

सच में मजाक था या मजाक में सच..!!!

बीते कुछ दिनों से कई खय़ाल आ-आ कर लौटते रहे और मन हर दफा ही उन्हें टटोलता रहा कि क्या यह महज हमारे बीच आ गई नजदीकियों का असर है या फिर सच में हमें एक-दूसरे से प्यार हो गया। कभी लगता, कि नहीं, यह केवल हमारे रिक्त मन की सतह पर सागर की लहरों की तरह थपथपा कर जाने वाला प्यार है। उस पहले प्यार की यादें ही हमें हर्षित कर रही है। कभी लगता- नहीं, हम दोनों तो उन यादों को कहीं दूर छोड़कर आ चुके हैं। फिर कहीं हमें वाकई एक-दूसरे से...। पता नहीं। पर फिलहाल मैं इस बारे में नहीं सोचना चाहता। मैं बस इन खूबसूरत लम्हों को जीना चाहता हूं। यूं तो एक अरसे से मैंने किसी के बारे मैं नहीं लिखा। मगर आज फिर कुछ लिखने का मन किया है। जानता हूँ इस बात पर तुम मुस्कुरा उठोगी। वैसे एक बात और है, बीते सालों में मैंने कई-कई दफा बहुत कुछ लिखना चाहा किन्तु हर दफा ही यह सोच कर रह जाता कि आखिर कोई उतना हकदार भी तो हो जिसके बारे मैं लिखा जा सके। जो उनकी अहमियत को समझे और मन के उस निजी स्पेस से निकले खयालातों, द्वन्द और सच्चाइयों को उसी स्तर पर उनकी स्पर्शता का अनुभव कर सके। और शब्दों के माध्यम से उनका वह स्पर्श एक हाथ से दूसरे हाथ में पहुँच कर बचा रह सके। उन शब्दहीन कागजों को जब छूता हूँ तो अपने रिश्ते का खय़ाल हो आता है। जानता हूँ हमारे बीच कभी न मिटने वाला फासला है, किन्तु यह मध्य आ खड़ी हो जाने वाली दीवार तो नहीं। तुम्हारे और मेरे बीच...नहीं-नहीं। ऐसा नहीं हो सकता। यह सोचकर मैं हर बार इस खूबसूरत सच्चाई को दरकिनार कर देता। लेकिन हर दफा, हर बात यूँ रिश्तों पर ही तो नहीं छोड़ी जा सकती - है न ? वैसे तुमको नहीं लगता, कई दफा हमें हमारी तबीयत का इंसान यूँ अचानक से आ मिलता है कि हम उस एक पल यकीन नहीं करते या यकीन नहीं करना चाहते, कि भला कोई हू-ब-हू ऐसा कैसे हो सकता है। और हम वक्त की नदी के अलग-अलग किनारों पर खड़े-खड़े उसके सूख जाने की राह तकते हैं। साल के आखिरी दिनों में तुमने मेरे दिल पर दस्तखत किए थे और एकाएक ही मेरी जिंदगी मुझे बेशकीमती लगने लगी थी। जो भी हो, उससे पहले मुझे जिंदगी से रत्ती भर भी प्रेम नहीं था। मेरे लिए भी नया साल उम्मीदों का उजास लेकर आया था। उस रोज़ जब हमारा छह दिन का साथ समाप्त होने को आया था और मेरी पलकें गीली होने को। तब मैं उसके खत्म नहीं होने की दुआ कर रहा था। तुमसे दूर होने के खयाल से मैं सिहर सा गया था। आखिरी शाम उस सड़क पर मैं तुम्हें कसकर गले लगाना चाहता था। तुम्हें बाहों में लेकर मैं उस वक्त के वहीं ठहर जाने की दुआएं मांग रहा था।
शायद तुम्हें मालूम नहीं होगा कि उस रोज मैं  वहीं छूट गया था। कॉलेज की उसी सूनी सड़क पर। तुम्हारे आंसुओं से भीगा। तुम्हारे अंतिम स्पर्श से गरमाता। ऐसा लगता है हम अभी भी उसी सड़क पर चहल-कदमी कर रहे हैं। मेरे साथ-साथ तुम्हारा उलटे चलना और फिर मुस्कुरा के कहना कि-
प्यार करते हो मुझसे..?
मैं बोलता - हां।
फिर तुम कहती - तो प्रपोज करो।
और फिर मेरे लिए मुश्किल सी हो जाती।
मैं उस वक्त शायद मैं तुम्हें आई लव यू बोल देता हूं।
तुम मुस्कुरा कर कहतीं- ऐसे थोड़ी होता है।
फिर कैसे होता है..?
आंखों में आंखें डालकर कहो।
और मैं तुम्हें फिर से आई लव यू बोल देता हूं।
वो सब बातें सच में मजाक थी या फिर मजाक में सच। उस वक्त शायद हम दोनों को पता नहीं चला। दिल को कभी अहसास ही नहीं हुआ कि ये क्या हो रहा है। उस दिन जब मैं तुमसे रूठ गया था। तो तुमने कितने प्यार से मुझे मनाया था। याद है मुझे। उन दिनों तुम मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थी। तुम मेरे बेहद करीब आ गई थी। बेहद करीब। हम दोनों शायद किसी अनदेखी डोर से एक-दूसरे के पास खींचे चले जा रहे थे। जब तुमने आखिरी दिन मुझसे पूछा कि क्या तुम्हें सच में मुझसे प्यार हुआ है, तो मैं तुमसे सच नहीं कह पाया था। ना जाने किस अनजाने डर ने मुझे रोक दिया था। शायद इश्क के पुराने अनुभवों ने मुझे यह कहने को विवश कर दिया होगा। पर यह सच था कि दिल के किसी कौने में तुम्हारे लिए चाहना ने जन्म ले लिया था। मैं जब तुम्हें तुम्हारे घर के पास छोडऩे आया था तो तुम्हें ये सब कहना चाहता था। फिर न जाने क्यूं रुक सा गया था। शायद दिमाग दिल की बात मानने को तैयार ही नहीं था। दिल ने जो कुछ छह दिनों में महसूस किया, दिमाग उनको झूठा साबित करने की फिजूल कोशिश में जुटा था। मगर उस दिन जब मैं घर आया तो बहुत कुछ अधूरा सा लगा। पहली बार लगा कि कुछ पीछे छूट सा गया है। या फिर बहुत कुछ पीछे छूट गया है। धीरे-धीरे अहसास हुआ कि मेरा तो शायद सब कुछ ही पीछे छूट गया है। आखिर दिमाग अपनी कोशिशों में नाकाम हो गया था। उसे दिल की बात माननी पड़ी थी। और फिर रात भर तुम्हारी उजली हंसी की खनक कानों में रह-रह कर गूंजती रही।    सवेरे जब उठा तो बस, तुम्हारी बातों को याद करके ही मुस्कुरा रहा था। कड़ाके की सर्दी में बाइक पर ठण्डी हवाओं के बीच तुम्हारा ठण्डे हाथों से मेरे गालों को छूना और तुम्हारा हाथ थामे मेरा हाथ। तुम्हारे स्पर्श ने उन लम्हों को मेरी जिन्दगी के खूबसूरत लम्हों में शामिल कर दिया था। उस वक्त की अनुभूति को जाहिर करना मुमकिन नहीं है मेरे लिए। सच....ऐसा लग रहा था कि जन्नत में हूं। नहीं जानता कैसी होगी। पर यकीन है इस अहसास से ज्यादा खूबसूरत नहीं होगी। तुम्हारे साथ होने से वो मौसम खुशगवार हो गया था। तुम्हारे पास बैठने पर ऐसा लग रहा था जैसे पहली बारिश के बाद धरती से निकलने वाली खुशबू को महसूस कर रहा हूं......तुम्हारी बातें सुनकर तुम्हें बाहों में लेने का दिल कर रहा था। तुम्हारे हाथों के स्पर्श का अहसास आज भी मैं महसूस करता हूं। मन आज भी उस सूनी सड़क पर तुम्हारे साथ चहल-कदमी करता है। वो 'पजेसिव' कहने का अंदाज आज भी चेहरे पर मुस्कुराहट ला देता है। चांद को देखकर आज भी तुम्हारी याद आ जाती है। इन सबके बाद भी आज भी मुझे पता नहीं चला कि उस सूनी सड़क पर चहल-कदमी के दौरान हमारे बीच हुई वो सब बातें सच में मजाक थी या फिर मजाक में सच..। :)

Monday, August 6, 2012

Tabdeeli Jab Bhi Aaati Hai..
Mousam Ki Adaaon Main
Kisi Ka Yun Badal Jana
Bahut Yaad Aaata Hai..!!

Monday, February 20, 2012

....जब तुमने खुशियां भी किसी और से बांटी

सुबह से शाम तक तुम्हारी आवाज के लिए तरसता रहा। हमारी स्मृतियों के आईने में तुम्हारा होना खोजता रहा। उलट-पलट के उन बीत गए बेतरतीब पलों की कडिय़ां बनाने का प्रयत्न करता रहा। किन्तु हर नए क्षण यह खयाल हो आता की किस पल को कहां जोडूं। हर लम्हा जो तुम्हारे साथ बिताया है वो बेशकीमती है। तुम्हारी उजली हंसी की खनक कानों में रह-रह कर गूंजती रही। मन की रिक्तता को भरने का बहुत प्रयत्न किया, किन्तु तुम नहीं तो कुछ भी नहीं। तुम जब पास होती हो तो कुछ भी और पा लेने की तमन्ना बची नहीं रह जाती। तुम मेरे मन की आत्मा हो। जीवन में तुम्हारे सिवा मुझे और कुछ नहीं चाहिए। तुम हो तो सब कुछ है, नहीं तो कुछ भी नहीं। मगर तुम ऐसा नहीं सोचती। याद है मुझे, वो दिन जिसका हम दोनों बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जिस दिन तुम्हारी परीक्षा का नतीजा आया था और तुम सफल हो गई थीं। पूरे ग्रुप में केवल तुम्हारा ही उसमें चयन हुआ था। बहतु बड़ा दिन था वो हमारे लिए। बहुत खुश था मैं। बहुत ज्यादा। मगर तुमने वो खुशियां भी किसी और से बांटी। और मुझे तरसता छोड़ दिया। तुम्हें एक बार भी खयाल नहीं आया कि मुझे कैसा लग रहा होगा। मैं तुम्हारे मैसेज के लिए भी तरसता रहा। देर रात तक करवटें बदलता रहा। मन उदासियों से भरा हुआ था। कई दफा मन को बहलाने का प्रयत्न करता रहा। किन्तु यह संभव ना हो सका। तुम्हारे बिना कुछ भी तो अच्छा नहीं लगता। ना गीत गुनगुनाना, ना कविता बुनना और ना ही किसी कहानी की तिकड़मबाज़ी करना। तुम बिन मेरी भाषा की पवित्रता बची नहीं रह जाती। दूर कहीं तुम न जाने सो रही होगी या जाग रही होंगी। पर मैं रोजाना सवेरे उठकर मैसेज देखता। ई-मेल चेक करता कि शायद तुमने कुछ भेजा होगा। मगर हर बार मुझे निराशा ही हाथ लगी। भावनाओं के समुद्र से तैरकर बाहर आने का मैंने लाख प्रयत्न किया किन्तु हर बार ही और ज्यादा डूबता चला गया। कई दफा मैंने इसके परे भी जाने का प्रयत्न किया और जानना चाहा कि क्या तुम वाकई बदल गई हो..? क्या तुम्हें अब मेरी याद नहीं आती..? क्या तुम्हें अब मेरी बिल्कुल याद नहीं आती। और मैं हर बार दिल को दिलासा देता रहता कि- नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। तुम भी मुझे याद करती हो। बहुत याद करती हो। बस जताती नहीं हो। जिस दिन मुझे पता चलेगा कि मैं दिल को झूठा दिलासा दिला रहा हूं, उस दिन शायद मैं जी नहीं पाऊंगा। मुझे इस सच्चाई को स्वीकारने में अभी वक्त लगेगा कि तुमने अपनी जिन्दगी से मुझको दूर कर दिया है। तुमने वो दरवाजा बंद कर लिया है, जो तुमको मुझसे जोड़ता था। तुम्हारी बेरुखी के चलते कई दफा मर जाने का खय़ाल भी आया और मैंने उसे चले जाने दिया। याद हो आया कि कभी तुम अकेली पड़ गई तो कौन तुम्हारा साथ देगा। यकीन रखना, तुमने भले ही दरवाजा बंद किया हो पर मैंने नहीं। तुम्हारे लिए उस दरवाजे की कुंडी मेरी साइड से हमेशा खुली ही रहेगी। कभी-न-कभी जब तुम वो दरवाजा खोलोगी तो मुझे मुस्कुराता हुआ पाओगी।

Sunday, January 22, 2012

मैं आज भी तुम्हें महसूस करता हूं...

तुम साथ थी मेरे, तुम पास थी मेरे.
वो जि़न्दगी का एक दिन था,
या एक दिन की जि़न्दगी..
मेरी जि़न्दगी,
एक लम्बा अरसा हो गया, तुम्हारे बारे में लिखे हुए। पर पता नहीं क्यूं, आज तुम्हारे बारे में लिखने को मन कर रहा है। कहां से शुरू करूं ? क्या लिखूं ? एहसास, दर्द, खुशी, उन पलों की यादें, मुलाकातें, मुस्कुराहटें, भीगी पलकें, मिलन की खुशी या तुम्हें दूर जाते देखकर, दिल के टूटने की आवाजें। बहुत सारी बातें करनी है तुमसे। संयोग से आज भी 30 जुलाई है। वही दिन, जिसने मुझे खुशियों की सौगात दी। जिसकी यादें आज भी मेरी झोली खुशियों से भर देती है। शाम को उधर से गुजरा था मैं, जहां हम पहली बार मिले थे। ना जाने क्यों कदम लडखड़ा से गए थे मेरे। ना चाहते हुए भी एक पल को थम सा गया था मैं। तुम्हारी याद कहीं मुझको रुला ना दे। ये सोचकर जल्दी से वहां से निकल जाना चाहता था। पर सच, खुद को रोक ना सका। ना जाने क्यूं भागते कदम एकदम से रुक गए। मैं वहीं पर बैठ गया। पता था मुझे, तुम नहीं आओगी। फिर भी हर साल की तरह तुम्हारा इंतजार किया। तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते कब पलकें गीली हो गई, पता ही नहीं चला। कब मेरी आंखें झरने की तरह बहने लगी, मुझे इसका एहसास ही नहीं हुआ। रह-रहकर मुझे तुम्हारी सारी बातें याद आने लगी। मेरा दिल फिर पुरानी बातों में खो गया। सच में, कितनी प्यारी थी तुम। वो घण्टों तक चलने वाली ढेर सारी बातें, झगड़े, रूठना-मनाना। याद तो होगा तुम्हें भी। तन्हाई में एक यह यादें ही तो है, जो हरदम मेरे साथ ऱहती है। तुम्हारे साथ बिताया हर लम्हा मेरे ख्यालों में और मेरी यादों में बस गया है।
   याद तो होगा तुम्हें भी, कॉलेज के वो आखिरी दिन। कितने दूर-दूर रहते थे हम। वो बेशकीमती लम्हे हमने बेवजह की नाराजगी में बिता दिए थे। उन दिनों हम साथ होते तो शायद हमारी परेशानियां आधी और खुशियां दोगुनी हो जाती। उन दिनों पराए लोगों को हमने अपना मान लिया था। मुझे आज भी याद है। उन आखिरी दिनों में कितना कुछ था मेरे पास, तुम्हें कहने के लिए। जीवन के उस मोड़ पर खड़ा मैं, शायद तुम्हें देखकर खुश नहीं था। हमारी राहें यहां से अलग जो थीं। एक दर्द, जिसको बयां करना मुश्किल था मेरे लिए। एक टीस थी, बेबसी की। आज मुस्कुराहट जरूर थी, पर रौनक गायब थी। बातें वैसी ही ताजा, पर मुरझाई सी थी। अपनी नजरों को इधर-उधर करके कुछ बयां करना चाहता था मैं। जिसे तुम महसूस करके भी महसूस नहीं कर रही थी। खुद से संघर्ष कर लिया था मैंने, कुछ न कहने का। इस पल को जीना आसान न था मेरे लिए। मुझे उम्मीद थी कि शायद तुम वो सब कह दोगी, जो मैं हमेंशा से सुनना चाहता था। लेकिन तुम बिना कुछ कहे चली गई थीं। मुझे अकेला छोड़कर। मुझे तो बताना भी जरूरी नहीं समझा था तुमने। मैं आज भी अकेला हूं। तुम्हारी यादें मेरे साथ है। शायद इसी वजह से तुमसे बिछड़कर भी मैं जी रहा हूं। तुम्हारी दी हुई चीजें मेरे पास महफूज है। मेरे जन्मदिन पर तुम्हारा दिया हुआ ग्रीटिंग्स कार्ड मैंने आज भी संभाल कर रखा है। पता नहीं क्यों, अब वो बहुत कीमती हो गया है और सच में, उसकी कीमत बढ़ती ही जा रही है। जब दिल भर आता है, तो उसे निकाल-निकालकर देखता हूं। तुम्हारे चले जाने के बाद खुशियों ने भी मुझसे मुंह मोड़ लिया। अब मुझसे कोई नहीं रूठता और मैं किसी को नहीं मनाता। डायरी लिखना भी मैंने लगभग बंद सा ही कर दिया। तुम्हारे चले जाने के साथ ही वो सब जाता रहा, जो मुझे सुकून देता था। वो हंसी, वो मुस्कुराहट, वो गज़लें सब कुछ जैसे खत्म सा हो गया है।
 इन बीते लम्हों को छलांग लगाकर पार कर एक बार फिर से वही सब जीने का मन करता है। जब तुम मुझे रोजाना सुबह उठाती थी। सुबह-सुबह तुम्हारा मिस कॉल और गुड मॉर्निंग मैसेज देखता तो अनायास ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती थी और मेरा पूरा दिन अच्छा गुजरता था। कुछ बुरा होता भी था, तो मुझे बुरा नहीं लगता था। शायद वो मेरी जिन्दगी के सबसे अच्छे दिन थे। तब मेरे पांव जमीं पर नहीं पड़ते थे। तुम्हारें खयालों में मैं बेवजह सड़कों पर बाइक घुमाता रहता था। उन दिनों की खुशबू आज भी मेरी सांसों में बसी हुई है। वो मुस्कुराहट जो तुम्हारे चेहरे पर खिला करती थी, उस मुस्कुराहट को हरदम तुम्हारे चेहरे पर सजाने का मन करता है।

    याद है तुम्हें, जब तुमने मुझे कहा था कि जब तुम्हारी शादी हो जाएगी, तब भी तुम मुझे मिस कॉल करोगी पर तुम्हारे जाने के बाद कभी मिस कॉल नहीं आया। तुम्हें पता होगा, मैंने अपने फोन में तुम्हारे नम्बर पर एक स्पेशल रिंगटोन सेट कर रखी थी। जो सिर्फ तुम्हारा फोन आने पर बजती थी। जब तुम नाराज होती और तुम्हारा फोन नहीं आता तो मैं यूं ही उसे बजाया करता था। मैं अपने दिल को झूठी तसल्ली देता था कि तुम्हारा फोन आ रहा है। तुम्हारा फोन आए अरसा गुजर गया। मैंने अपने फोन में अपने दूसरे मोबाइल के नम्बर तुम्हारे नाम से सेव कर रखे हैं। फिर में अपने मोबाइल पर कॉल करता हूं, तो सच में तुम्हारा नाम देखकर बड़ा अच्छा लगता है। मैं बस अपने दिल को झूठा दिलासा दिला रहा हूं। याद है मुझे, जब तुमने मुझे कहा था कि मैं जल्दी ही अपने नम्बर बदलने वाली हूं। तुम्हें वो नम्बर बिल्कुल नहीं दूंगी। मुझे लगा, तुम मजाक कर रही हो। पर, वो सच था। जो तुमने काफी पहले मुझे बता दिया था। ऑरकुट पर तो तुमने मुझे पहले ही डिलीट कर दिया था। शायद, अब तो वो टेस्टीमोनियल्स भी हटा दिया होगा। मेल तो तुम कभी करती ही नहीं थी। संचार के सभी साधन मौजूद होते हुए भी हम इतने दूर कैसे हो गए, दिल को कुछ पता ही नहीं चला। भूला नहीं हूं मैं तुम्हारी शादी का दिन। तुमने मुझे इससे अनजान रखने की कोशिश की थी। तुम अपनी जगह सही थी। पर मै भी क्या करता। उन दिनों मेरे दिल का हाल जानने वाला कोई नहीं था। तुम्हारे लिए बड़े प्यार से खरीदा हुआ गिफ्ट भी मेरे पास ही रह गया। कहां चली गईं तुम..? बिना बताए...! तुमने जाने से पहले एक बार भी नहीं सोचा कि जो इंसान तुमसे बात किए बिना एक दिन भी नहीं रहता, वो भला सारी जिन्दगी कैसे रहेगा। एक पल के लिए भी नहीं सोचा तुमनें। बस चलीं गईं...।
    आज मेरे पास कहने को बहुत कुछ हैं, पर वो मुस्कुराती हुई आंखें नहीं है। जिन्हें देखकर मैं खुश होता था। मैं कहना चाहता हूं कि -मैं आज भी तुम्हें बहुत याद करता हूं। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती थी, जब तुम हंसती थी। तुम्हारी हंसी मेरे दिल पर असर करती थी और हर बार मैं यही ख्वाहिश पैदा करता था कि तुम यूं ही जिन्दगी भर हंसती रहो। मैं कहना चाहता हूं कि जब तुम बच्चों की तरह हरकतें करती थी, तो तुम पर बहुत प्यार आता था। तुम्हारे मिर्ची बड़े खाने की आदत मुझे बहुत पसन्द थी। मैं कहना चाहता हूं कि मैं तुमसे बेइंतहा प्यार करता था। हमेंशा करता रहूंगा। तुम्हारी याद मुझे हंसा जाती है और फिर न जाने क्यूं रोने को मन करता है। न चाहते हुए भी मेरी आंखो से आंसू छलक जाते हैं। अक्सर तुम्हारे कंधे पर सर रखकर रोने का मन करता है। आज भी जब मैं भीड़ भरी दुनिया में अपने आप को अकेला महसूस करता हूं तो उसी कॉलेज में जाकर बैठ जाता हूं। जहां हम मिलते थे। पर अब तो यह जगह भी मुझे मेरी जिन्दगी की तरह बेरंग, बेजान और बेमतलब सी जान पड़ती है। मैं आज भी हर फ्राइडे को छुट्टी के दिन नेट कॉर्नर के पास वाली ज्यूस की दुकान पर जाकर बैठ जाता हूं, इस उम्मीद में कि शायद आज तुम नेट कॉर्नर आई होंगी। जब तुम यहां से गुजरोगी तो मैं तुम्हें एक नजर देख लूंगा। मगर अब तुम यहां भी नहीं आती। तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते वहीं पर मेरी शाम गुजर जाती है। तुम्हें देखने की हसरत लिए कई बुधवार मैं गणेश मंदिर भी गया। पर भगवान के दर से भी मुझे तुम्हारी जगह मायूसी ही मिली। तुम अब मेरे खयालों के सिवाय कहीं नहीं आती। मेरे ई-मेल का पासवर्ड आज भी तुम्हारे नाम पर है। :)  तुम्हारे मैसेज मैं अब भी रोजाना सोने से पहले उसी तरह पढ़ता हूं। 1011 मैसेज है मेरे पास। जो तुमने मुझे भेजे थे। एक लम्बा अरसा गुजरने के बाद भी वो मैसेज मुझे ताजा लगते हैं। हर बार कुछ नया लगता है। शायद वो तुम्हारा एहसास ही होगा, जो कभी पुराना नहीं होता। तुम्हारे वो फोटो, जो तुमने मुझे दिए थे। महफूज है मेरे पास। ठीक तुम्हारी यादों की तरह। मैं आज भी उन्हें घण्टों निहारता हूं। उन्हें देखते-देखते पलकें गीली हो जाती है। याद है मुझे, एक बार जब तुम रो पड़ी थी। किसी के कमेंट्स के कारण। उस पल तुम्हारी आंखों के आंसू महसूस किए थे मैंने। आंसुओं से भीगा, तुम्हारा वो चेहरा आज भी भूला नहीं हूं मैं। उस पल कितना मुश्किल हो गया था तुम्हें मनाना और तुम यह कहने लगी थी कि अब मुझे यहां नहीं पढऩा। मैं यहां दुबारा कभी नहीं आऊंगी। उस पल तुमने मुझे भी रुला सा ही दिया था। कितनी मुश्किल से कॉलेज में मैंने तुम्हें मनाया था। तुम्हारे साथ बिताए लम्हे मुझे जब-तब याद आ ही जाते हैं। वो यादें रोज-रोज आकर मेरा दरवाजा खटखटाती है। हर रोज मैं उन्हें साथ लेकर घर से निकलता हूं और देर रात, फिर से एक नई याद जेहन में आ जाती है। तुम नहीं तो कुछ नहीं। तुम्हारे बिना जिन्दगी वीरान है। अब न कोई सवाल है और न किसी जवाब का इंतजार। तुम न जाने कहां होंगी। मेरे पास तो अब तुम्हारा खयाल ही है।
       अब भी मैं रोजाना उठने पर सबसे पहले फोन ही देखता हूं कि कहीं तुम्हारा मैसेज या मिस कॉल आया होगा। कभी शायद तुम मुझसे पूछ लो कि मैं कैसा हूं। तो मैं कह सकूं कि मैं आज भी तुम्हारी सांसों को महसूस करता हूं। मेरे खयालों में सिर्फ तुम ही बसती हो। मगर तुम अब नहीं पूछतीं। अब तुम्हारी यादें ही मेरे जीने का सबब है। हालांकि तुमने तो मुझे अपनी यादें देने से भी इनकार कर दिया था। शायद, इसीलिए तुम कभी मेरे साथ नहीं गई। तुम्हारे साथ एक शाम कॉफी पीने की ख्वाहिश भी अधूरी रह गई। तुम कभी मेरे घर भी नहीं आई। सारे अरमान, सारी हसरतें तुम अधूरी छोड़कर चली गईं। मेरे लाख कहने पर भी तुमने मुझे वो तस्वीरें नहीं दी, जो मुझे बेहद पसन्द थी। नहीं-नहीं, मुझे कोई गिला नहीं है तुमसे। गिला हो भी कैसे सकता है भला। तुम और तुम्हारी वो मजबूरियां। तुमने जो किया, ठीक किया। '.....इज ऑलवेज राइट'  अक्सर मैं यही तो कहता था। हमारा जब भी झगड़ा होता था तो मैं ही हमेंशा हारता था। क्योंकि मैं यह दिल से मानता था कि तुम सही हो। आज तुम बहुत आगे निकल गई और मैं वहीं खड़ा रह गया। मुझे इस बात का दु:ख नहीं कि तुमने मुझसे प्यार नहीं किया। मुझे अफसोस इस बात का है कि तुमने कभी मेरे प्यार को महसूस करने की कोशिश भी नहीं की। अगर की होती तो तुम्हारी यादों में बसी मेरी तस्वीर कभी इतनी धुंधली ना होती। दोस्त तो मानती थी तुम मुझे। हर बात बताती थी मुझे। फिर हमारी दोस्ती में ये अनचाहे फासले कहां से आ गए। तुम्हीं ने तो मुझे हंसना सिखाया था। फिर रुला क्यों दिया।
    जिन्दगी ने दुबारा मौका दिया तो हम कहीं न कहीं जरूर मिलेंगे। तुम्हारे साथ एक शाम काफी पीने की ख्वाहिश, जो अधूरी रह गई थी, तुम उसे पूरा करने जरूर आओगी। आज हम अपने-अपने रास्तों पर चल रहे हैं। क्या कभी ऐसा होगा कि गली के किसी मोड़ पर हम फिर टकरा जाएं। सच, कितना सुखद होगा वो मोड़। बिल्कुल अपना सा। तब दिल करेगा उस मोड़ पर चन्द पल सुस्ता लें। ढेर सारी बातें करें। तुम्हारे सारे किस्से सुनूंगा मैं। तब कितना सुकून मिलेगा मेरे दिल को। शायद तुम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकती। कहने को तो तुमसे बिछड़े हुए एक साल ही हुआ है, पर यूं लगता है जैसे सदियां गुजर गई। मैं आज भी तुम्हारे एहसास को महसूस करता हूं। मुझे लगता है कि तुम यहीं कहीं हो मेरे पास। अचानक से कोई हंसी गूंजती है मेरे कानों में। क्या वो तुम्हारी ही है ? क्या तुम आज भी खुश हो ? क्या तुम भी मुझे कभी याद करती हो ? तुम खुश हो अगर तो मैं जी लूंगा। यूं हीं इस कदर तुम्हारी यादों के सहारे। कभी फुर्सत मिले, तो अपनी जिन्दगी की डायरी के पन्ने पलटना। शायद मैं भी तुम्हें याद आ जाऊं। मुझे तो बस उसी दिन का इंतजार है। अब और नहीं लिखा जाता। पलकें गीली हो गई है। अपनी यादों से कहो, कुछ देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दे। थोड़ी देर रोने का मन कर रहा है।
तुमसे बस यही कहना है....
तुम जाओ और
दरिया-दरिया प्यास बुझाओ,
जिन आंखों में डूबो,
जिस दिल में भी उतरो
मेरी तलब आवाज न देगी।
लेकिन जब मेरी चाहत
और मेरी ख्वाहिश की लौ
इतनी तेज और ऊंची हो जाए।
जब दिल रो दे
तब लौट आना.....।
-तुम्हारा अपना - तुम बिन अधूरा...

उससे कहो, मेरा शहर ना छोड़े !!!

'वो मुझसे खफा रहे, मंजूर है मुझे
पर उससे कहो,
मेरा शहर ना छोड़े..' याद है मुझे। उस दिन जब तुम्हें साथ लेकर रेल प्लेटफोर्म को छोड़कर जा रही थी। तो उसके बाद मुझे उदासियों ने आ घेरा। और फिर हर पल लगने लगा कि तुम मुझसे दूर....बहुत दूर......चली जा रही हो। यूं लग रहा था जैसे बच्चे के हाथ से उसकी पसंदीदा वस्तु छीनी जा रही हो। मैं बच्चे की तरह ही जिद करके तुम्हें अपने पास अपनी बाहों में रखना चाहता था। ट्रेन के पीछे दौडऩा चाहता था। तुम्हें जोर से पुकारना चाहता था। पर ऐसा हो ना सका। एक अरसे बाद तुम मेरी यादों में.....मेरे शहर में आई थी। थोड़ा सा झगड़ा और ढेर सारी बातें करनी थी तुमसे तुम्हारा पोट्रेट जो मैंने बनवाया था तुम्हारे लिए। उसके लिए फ्रेम भी  लेकर आया था मैं। पर सारी ख्वाहिशों को अधूरा छोड़कर तुम चलीं गई थी। मुझसे बिना मिले। मुझसे बिना बात किए। और मैं बच्चे की तरह सहम सा गया था। तुम्हारे बगैर। किसी ने वापस बहलाया ही नहीं मुझे। हालांकि हम एक ही शहर में होते हुए भी रोज़ कहाँ मिल पाते थे। किन्तु फिर भी एक सुकून मिलता था कि चलो कोई तो अपना भी इस शहर में है। चेहरे पर हरदम रहने वाली मुस्कुराहट एकदम से उदासी में बदल गई थी। ना जाने यह कैसा सिलसिला है, जो थमता ही नहीं. शाम बीती और फिर रात भर दम साधे तुम्हारी आवाज़ की प्रतीक्षा करता रहा। छत पर खड़ा होकर तुम्हारे घर की तरफ देखता रहा। उन बेहद निजी पलों में कई खय़ाल आए और चले गए। 
सच में, तुम्हारी बहुत याद आई. 
पलकें गीली हो गई थी। मैंने आंसू नहीं पौंछे। बस उनको बह जाने दिया। :( सुबह बेहद वीरान और उदासियों से भरी हुई सामने आ खड़ी हुई. मन किया कि कहीं भाग जाऊं, कहाँ ? स्वंय भी नहीं जानता। जिस एकांत में तुम्हारी खुशबू घुली हुई हो और मैं पीछे छूट गयी तुम्हारी परछाइयों से लिपट कर स्वंय को जिंदा रख सकूँ। उस किसी एकांत की चाहना दिल में घर करने लगी है। उस वक्त भी तुम्हारी बहुत याद आई। सच में तुम्हारी सादगी के भोलेपन पर अपनी जिंदगी लुटा देने को मन करता है। तुम्हारे साथ का हर लम्हा मुझे तुम्हारे पास होने का एहसास दिलाता है। मेरी उदासियों के साए में उन जगमगाते रौशन कतरों को शामिल कर दो। मैं भी तुम्हारे पीछे इन दिनों को जी सकूँ। नहीं तो सच में, तुम बिन मर जाने को जी चाहता है। तुम मेरे वजूद में इस कदर शामिल हो जैसे तुम्हारे बिना मैं कोई सूखी नदी हूँ।