Saturday, July 30, 2011

Happy friendship day


मै और उसको भुला दूं , ये कैसी बातें करते हो फ़राज़ .......!!!
सूरत तो फिर सूरत है, वो नाम भी अच्छा लगता है ........!!!

कभी-कभी लगता है कि दूर तलक चली जाती खामोश सड़क पर मैं तुम्हारे हाथों में हाथ डाल कर यूँ ही खामोश चलता चलूँ। कभी कभी खामोश रहना भी कितना सुकून देता है, है न। तुम्हें पता है कि जब ख़ामोशी जुबां अख्तियार कर लेती है तो बहुत सी बातें ऐसी होती हैं जो हमारे सीने में दफऩ होती हैं, उन्हें ख़ामोशी ख़ुद-ब-ख़ुद दूजे के दिल तक पहुँचा देती है। कितना आसान है न ख़ामोशी की जुबां को समझना, या शायद हमें समझने की जरूरत कहाँ पड़ती है, वो तो ख़ुद-ब-ख़ुद हमारे कानों में संगीत बनकर गूंजती है। एक अर्सा हुआ जब से कुछ खोया-खोया सा जुदा-जुदा सा लगता है। लगता है कि कुछ है, जो यूँ ही समझ नही आएगा। मन करता है एक बार फिर से वही सब करूँ, वही सब सुनूँ, वही सब महसूस करूँ, जो तुम्हारे और मेरे दरमियां होता रहा। तुम्हें याद है न वो सब... याद ही होगा...अभी जैसे कुछ रोज़ पहले की ही सी तो बात है। जब हम-तुम साथ हुआ करते थे। तुम्हें देखकर मैं कितना खुश हुआ करता था। आज जब मैं फिर उसी कॉलेज गया, तो वही पुरानी मीठी सी यादें जीवंत हो उठीं। जैसे वो भी मेरे वहां आने से हर्षित हुई हों। सच..। नोटिस बोर्ड के पास गया तो यूं लगा जैसे, अभी-अभी तुम यहीं खड़ी थीं। वहीं नीली जींस और सफेद शर्ट में। मुझे आज भी याद है 30 जुलाई 2008 का वो दिन। अब तो शायद वो दिन और वो पल हमेशा के लिए मेरी स्मृतियों में जगह बना चुका है। क्लास के पास जाते ही यूं लगा जैसे तुम अंदर बैठी हो। और आज भी मुझसे नाराज हो। अक्सर तुम नाराज ही तो रहती थी मुझसे। :) तुम आगे बैठती और मैं पीछे बैठ जाता तो भी तुम नाराज हो जाती। और मैं भी बिल्कुल पागल था। वही करता जो मेरा पागल दिल करने को कहता। सोचने-समझने का का होश था ही नहीं उन लड़कपन के दिनों में। स्टाफ रूम के उस डायस को छूकर देखा मैंने। जहां पर हम-तुम ने साथ एक कार्यक्रम का संचालन किया था। याद है तुम्हें वो समापन समारोह। बहुत अच्छा साथ दिया था तुमने मेरा। :) हम दोनों का एक साथ गुलाबी कपड़े पहनना भी ना जाने कैसा संयोग था। आज भी उस बात पर मेरी हंसी छूट जाती है जब तुमने कहा कि- तुमने आज पिंक शर्ट क्यूं पहना..? :) :) उस दिन तुमने वो बिस्किट पूरे खत्म ही नहीं किए थे। जो मैं तुम्हारे लिए लेकर आया था। वो पैकेट आज भी मैंने संभालकर रखा है। ठीक तुम्हारी यादों की तरह। उसको बार-बार देखना मुझे बहुत सुखद अनुभूति देता है। जब मैं लॉन में खड़ा था, तो यूं लगा जैसे तुम पानी पीने के लिए दौड़कर जा रही हो। जब भी तुम जाती तो दौड़ती हुई जाती थी। बिल्कुल बच्चों की तरह। मैं अक्सर तुम्हें देखकर मुस्कुराता रहता था। :) सच बात तो यह है उन दिनों मेरी मुस्कुराहट और हंसी की वजह सिर्फ तुम ही तो थी। वो भी क्या दिन थे। जब उन बारिश के दिनों में हमारे बीच कई-कई दिनों तक बात न हुआ करती। फिर भी कैसे हम एक दूजे के दिल का हाल जान लेते थे बिना कहे, जैसे तुम कहना चाहती हो कि- तुम मेरे पास मत आओ। और मैं कहना चाहता था कि- तुम बेहद खूबसूरत लग रही हो। ऐसी कितनी ही बातें थी जो हमारे दरमियाँ उस ख़ामोशी में हो जाया करती थीं। तुम हो, मैं हूँ, हमारी बातें हैं, बेफिक्री वाला दिन, खुला आसमान, हरी घास, मदमस्त उड़ते से रंग-बिरंगे पंछी, वो तितलियाँ और वो बेवजह की बातों में मशगूल रहना। सच मानों कभी तो उन दिनों यूं लगता जैसे मैं जन्नत में हूँ। नहीं जानता कि कैसी होती होगी, लेकिन इससे अच्छी तो नही होगी न। :) जब तुम रजिस्टर में पेन से कुछ आड़ी-टेढ़ी लकीरें खींचती तो पता लग जाता कि कुछ सोच रही हो, किसी उलझन में हो। तुम्हें इस तरह उलझन में पाकर मैं हमेशा तुम्हारे हाथों को अपने हाथों में लेकर और तुम्हारी आंखों में झाँककर पूछना चाहता था कि क्या बात है। पर कभी इतना साहस नहीं जुटा पाया। मैं तुम्हारी हर परेशानी को बांटना चाहता था। पर जब तुमसे पूछता तो तुम भी कह देतीं कि कुछ नहीं, कुछ भी तो नहीं । लेकिन अगले ही पल कैसे तुम सारी बातें कह दिया करती। तुम्हारी वो बातें, ढेर सारी बातें, प्यारी प्यारी, अपनी सी, भोली सी, मासूम सी । जिनसे मुझे उतना ही प्यार हो चला था जितना कि तुमसे, तुम्हारी प्यारी आंखों से, तुम्हारी उस मुस्कराहट से, तुम्हारी उन बच्चों जैसी हरकतों से था। सच में वो ख़ामोशी भी बहुत खूबसूरत हुआ करती थी । अपने अपने हाले-दिल बयाँ करने के लिए सबसे खुशनुमा, सबसे संजीदा और बिल्कुल अपनी सी। तुम्हें पता है कि उस ख़ामोशी में हम अपने सारे गम, सारी खुशी बाँट लेते थे। वो ख़ामोशी हमारी दोस्त हो जाया करती थी। उस ख़ामोशी के बने हुए तमाम अफ़साने हैं, जो मेरे जहन में जब तब यूँ ही आ जाया करते हैं और मैं मुस्कुरा जाया करता हूँ। क्या वो खामोश से अफ़साने तुम्हारे पास भी आते हैं गुफ्तगू करने...। :) :)

Happy friendship day 30th July. :) :)

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