याद है तुम्हें.... हां..! याद ही होगा। अभी कुछ रोज पहले की ही तो बात है। जब तुमने कहा कि तुम वो फाइल देने के लिए मेरे घर आ जाओ। एक पल के लिए यकीन ही नहीं हुआ। यूं लगा, जैसे खुशियों का खजाना मिल गया हो.....और दूजे ही पल ना जाने क्यूं मेरा गला सूख गया....। तुम्हारे घर जाते वक्त अनगिनत सवाल मेरे दिमाग में दौड़ रहे थे। मैं तुम्हारे पेरेंट्स से कैसे मिलूंगा..? क्या बात करूंगा..? उनके सामने तुम्हें क्या बोलूंगा...? उन्होंने कुछ सवाल पूछ लिया तो....!! तुम मेरा परिचय क्या दोगी..? इस तरह के ढेर सारे सवाल मेरे जहन में आ-जा रहे थे।.....जिनके जवाब मैं अपने आप को दिए जा रहा था...।
आखिर डरते-डरते मैं उस रोज तुम्हारे घर गया। मैं मन ही मन भगवान से यह दुआ करते हुए जा रहा था कि दरवाजा तुम ही खोलो....ताकि तुम सारी स्थिति संभाल लो।.....पर उस वक्त मैं बिल्कुल स्तब्ध रह गया....जब दरवाजा अंकित ने खोला। एक पल के लिए तो मेरे मुंह से बोल ही नहीं फूटे....! समझ ही नहीं आया कि क्या बोलूं....मेरी नजरें अंदर झांकते हुए तुम्हें तलाश रही थी। फिर मैंने धीरे से कहा- मेघा का घर यही है ना ? जैसे कि मुझे पता ही नहीं हो...!अपने इस झूठ पर मैं मुस्कुरा भर उठा था। सच....यार! इसके बाद जो बातों का सिलसिला चला तो एहसास ही नहीं हुआ कि मैं इस घर में पहली बार आया हूं। तुम्हारी मम्मी से पहली बार मिल रहा हूं। बातों का सिलसिला एक मिनट भी नहीं रुका। तुम्हारी मम्मी से बात करते हुए जरा भी नहीं लगा कि मैं इनसे पहली बार मिल रहा हूं। यूं लगा....जैसे मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को बरसों से जानता हूं...। शायद......या फिर....यकीनन। यह हमारी दोस्ती का असर होगा...। हालांकि इसके बाद मैं एक बार और तुम्हारे घर गया था। जब तुम बीमार थी और फ्रेंडशिप डे (३० जुलाई) विश करने के लिए कॉलेज नहीं आ सकी थी। उस दिन बारिश हो रही थी। मगर मैं बारिश रुकने का इंतजार नहीं कर पाया और भीगते हुए ही तुम्हारे घर पहुंच गया था। फिर भी पहली बार तुम्हारे घर जाने का किस्सा तो मुझे हमेशा याद रहेगा। उन दिनों की भीगी यादें आज भी मुझे हंसाती है, फिर रुला देती है।
जानती हो मेघा....हमारे बीच जो भी झगड़े हुए। उनसे हमारी दोस्ती कमजोर होने के बजाय और मजबूत होती चली गई। ऐसा मुझे लगता है। अब तो मेरे पास तुमसे जुड़े ढेर सारे अफसाने हैं...। जो मेरे जहन में हर वक्त साये की तरह मेरे साथ रहते हैं। जो मुझे कभी अकेलापन महसूस नहीं होने देते...। ये सब तुम्हारी दी हुई खुशियां हैं। जिन्हें मैं सहेजकर संभालकर रखता हूं...। तुम सबसे अच्छी हो......। सबसे अलग हो.....। सबसे जुदा हो.....। सबसे प्यारी हो......। इन सबसे बढ़कर तुम मेरी सबसे प्यारी दोस्त हो......। मुझे तुम पर और अपनी दोस्ती पर गर्व महसूस होता है....।
आखिर डरते-डरते मैं उस रोज तुम्हारे घर गया। मैं मन ही मन भगवान से यह दुआ करते हुए जा रहा था कि दरवाजा तुम ही खोलो....ताकि तुम सारी स्थिति संभाल लो।.....पर उस वक्त मैं बिल्कुल स्तब्ध रह गया....जब दरवाजा अंकित ने खोला। एक पल के लिए तो मेरे मुंह से बोल ही नहीं फूटे....! समझ ही नहीं आया कि क्या बोलूं....मेरी नजरें अंदर झांकते हुए तुम्हें तलाश रही थी। फिर मैंने धीरे से कहा- मेघा का घर यही है ना ? जैसे कि मुझे पता ही नहीं हो...!अपने इस झूठ पर मैं मुस्कुरा भर उठा था। सच....यार! इसके बाद जो बातों का सिलसिला चला तो एहसास ही नहीं हुआ कि मैं इस घर में पहली बार आया हूं। तुम्हारी मम्मी से पहली बार मिल रहा हूं। बातों का सिलसिला एक मिनट भी नहीं रुका। तुम्हारी मम्मी से बात करते हुए जरा भी नहीं लगा कि मैं इनसे पहली बार मिल रहा हूं। यूं लगा....जैसे मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को बरसों से जानता हूं...। शायद......या फिर....यकीनन। यह हमारी दोस्ती का असर होगा...। हालांकि इसके बाद मैं एक बार और तुम्हारे घर गया था। जब तुम बीमार थी और फ्रेंडशिप डे (३० जुलाई) विश करने के लिए कॉलेज नहीं आ सकी थी। उस दिन बारिश हो रही थी। मगर मैं बारिश रुकने का इंतजार नहीं कर पाया और भीगते हुए ही तुम्हारे घर पहुंच गया था। फिर भी पहली बार तुम्हारे घर जाने का किस्सा तो मुझे हमेशा याद रहेगा। उन दिनों की भीगी यादें आज भी मुझे हंसाती है, फिर रुला देती है।
जानती हो मेघा....हमारे बीच जो भी झगड़े हुए। उनसे हमारी दोस्ती कमजोर होने के बजाय और मजबूत होती चली गई। ऐसा मुझे लगता है। अब तो मेरे पास तुमसे जुड़े ढेर सारे अफसाने हैं...। जो मेरे जहन में हर वक्त साये की तरह मेरे साथ रहते हैं। जो मुझे कभी अकेलापन महसूस नहीं होने देते...। ये सब तुम्हारी दी हुई खुशियां हैं। जिन्हें मैं सहेजकर संभालकर रखता हूं...। तुम सबसे अच्छी हो......। सबसे अलग हो.....। सबसे जुदा हो.....। सबसे प्यारी हो......। इन सबसे बढ़कर तुम मेरी सबसे प्यारी दोस्त हो......। मुझे तुम पर और अपनी दोस्ती पर गर्व महसूस होता है....।